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आदमी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
गनां-नातां बिच्चै
म्हारी सांस
आ दबी
अबै म्हैं
सगळा सूं निभावूं
उफ नीं करूं
तद ई कथीजूंला
आदमी !