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आदमी का अस्त्तित्व / शील
Kavita Kosh से
वक्ष ताने आस्था का —
अकल्पित भविष्य व्यवस्थाओं का
वर्जनाएँ पार करता,
युगान्तर लाँघता —
इक्कीसवीं सदी के —
मुहाने पर खड़ा है ।
25 दिसम्बर 1987