मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आनू गऽ सोना के थारी
झारू गऽ खोइंछ हे
खोइंछा मे भेटत आइ
मोहर पचीस हे
भौजी के माय-बाप
परम दरिद्र हे
खोइंछा मे आयल छनि
हरदि-दूभि धान हे
लाजहिं ठाढ़ छथि
बड़की बहीन हे
भउजो के खोइंछा
हरदि दूभि धान हे
चुप रहू चुप रहू छोटकी बहीन हे
हम पुराय देब तोहरो मोन आस हे