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आन्दोलनक स्वर / किसलय कृष्ण

आठम सूचीक झुनझुन्ना सँ काज नञि चलतौ
बिना मैथिली एहि धरती पर राज नञि चलतौ
मीता मिलिकए दिही आब सत्ता केँ आवाज़ रे।
भेटय मातृभाषा अधिकार या फेर मिथिला राज रे।

सीमांचल-कोशी-बज्जि में बाँटि रहल छौ,
माँ मिथिलेक अंग-भंग कए काटि रहल छौ,
हरदी डीह सँ लोरिक आइ ललकारि रहल छौ...
महिसोथा सँ सलहेस सेहो फटकारि रहल छौ...
महानन्दा सँ गण्डकी आन्दोलन सुर साज रे।
भेटय राजभाषा अधिकार या फेर मिथिला राज रे।

राष्ट्रवाणीक सदिखन हम सम्मान करै छी,
मातृवाणीक अपमान सहि हम किए डरै छी,
यात्रीक गीत सुनि मीत हेरे दुर्दान्त बनि जो...
भाषा लेल तूँ राजकमल अशान्त बनि जो...
चुप्पी सधने आब नञि चलतौ काज रे।
भेटय राजभाषा अधिकार या फेर मिथिला राज रे।