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आप गाने की बात करते हैं / रामकुमार कृषक
Kavita Kosh से
आप गाने की बात करते हैं
किस ज़माने की बात करते हैं
लोग करते जो बया को बेघर
घर बनाने की बात करते हैं
लौटकर जा रहे गुफ़ाओं में
दूर जाने की बात करते हैं
जो नहीं आज के ज़माने के
आजमाने की बात करते हैं
बोझ सिर पर हैं इबादतग़ाहें
सिर उठाने की बात करते हैं