भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आपसे प्यार है / कैलाश झा 'किंकर'
Kavita Kosh से
आपसे प्यार है
प्यार संसार है।
नफरतों से मिली
आपको हार है।
आपके बाग़ में
फूल है, ख़ार है।
ज्ञान का आप में
पूर्ण भंडार है।
आपकी ज़िंदगी
जैसे आधार है।
दोस्त कैसे कहूँ
वह गुनहगार है।