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आभो / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
लगावै आभो
रात रै काळूंस नै
उतारणै तांई
सूरज री स्याबण
पूंछै ऊजास रै गमछै स्यूं
आपरो डील
पैरै तावड़ै रो सोनल अंगरखो
घालै गळै में हंसा री कतार मिस
मूंघै मोत्यां रो हार
लेवै समदर कनै स्यूं
बादळ रो रमाल
देख’र भायलै दिन नै घाल ली
ठंठारीज्योड़ो हिमाळो
हूं’र गळगळो गळबाथ