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आम्रपाली / युद्ध / भाग 7 / ज्वाला सांध्यपुष्प

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पल में दुन्नो दल मिलल, होएल संकुल युद्ध शुरू।
कर ‘बजरंगीबली की जय’, बहाबे लग्गल खून॥61॥

काटे फरसा कच्च-कच्च कऽ, मारे बाण नापकऽ।
गिरे कट हाथी अखनी, काँपे धरती हाँफ कऽ॥62॥

फन-फन खूब उड़इअ, बजरन्गी भगबा उप्पर।
सन्-सन् तीर अर्द्धचन्द्रमुखि चल, घेंट कटइअ तत्पर॥63॥

धप्-धप् तोड़े छाति, पिट्ठी कोइ देखे न।
खच्-खच् बाँह काटे भुजालि, माया तनको लग्गे न॥64॥

कटे मुरी गिरे मुर्गी सन्, उड़े बाँह मछरी सन्।
लाल खून के फुचकारी, मारे खूब होरी सन्॥65॥


लोग गिरकऽ छटपटाइअ, जइसे कटइअ बकरि।
अदमी-अदमी के काटे, जेन्ना कदुआ-कखरि॥66॥

भुक्खल बाण घुसइअदेह, पीएला रक्त अहगर।
जेन्ना डुब्की मारे चिरइ, पकड़े लेल जलचर॥67॥

भाला घुस लप-लप खून पिए, डाकू इच्छा नाहित।
मन-मग्गह लङ्री हिलाबे, पोसाव कुत्ता नाहित॥68॥

सुचिमुख बाण सोनप्रभ, खूब कसकऽ चलएलन।
अभीति रहन तइआर उ, देह लिबाकऽ बचलन॥69॥