Last modified on 2 जुलाई 2016, at 01:49

आय छिकै पन्द्रह अगस्त हो / नंदकिशोर शर्मा

आय छिकै पन्द्रह अगस्त हो, आय छिकै पन्द्रह अगस्त हो
अंगरेजबा के सत्ता सूरज, आइये के दिन भेलै अश्त हो।

हाँथ-हाँथ में लहरै झंडा, मोड़-मोड़ पर फहरै झंडा
स्कूल कॉलेज दफ्तर सगरे, बाँस बाँस पर चहरै झंडा
राष्ट्रगीत जन-मन-गन भेले, वन्देमातरम् बजल हस्त हो।

चौक-चौक पर छकै जिलेबी, देशगीत धुन बजै तराना
अमर रहे गाँधी, सुभाष जय, कुँवर ंिसह झाँसी महराना
ताबरतोड़ लगैने नारा चलै बुतरुआ होय मस्त हो।

हावा के संग झंडा देखो, मुक्त ताल पर झूमै नाचै
तीन रंग त्रयगुणी सरंग में आजादी संदेशा बाँचै
विजय घोष के लगै ठहाका बीतल खिस्सा कहै समस्त हो।

दौड़ल आबो अंशु कक्का, देखो नेता आइये ऐलै
दड़बर मारै पुलिस संग में, तरतर फोटो प्रेस खिलैचै
हाबा बाला छुच्छा भाषण सुनतें सुनतें लागल गस्त हो।

गे बंशीमाय निकलें बाहर चलें हम्हूं फहरैवै झंडा
बबलू कन से लाय उधारे, तोरा खिलैवौ सक्कर मंडा
बरियापन के भेलै आजादी, देखी सूरज भेलै अस्त हो।