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आलाव/ सजीव सारथी
Kavita Kosh से
तुम्हारी याद,
शबनम
रात भर बरसती रही,
सर्द ठंडी रात थी,
मैं आलाव में जलता रहा,
सूखा बदन सुलगता रहा,
रूह तपती रही,
तुम्हारी याद,
शबनम,
रात भर बरसती रही
शायद ये आखिरी रात थी,
तुमसे ख्वाबों में मिलने की,
जल कर ख़ाक हो गया हूँ,
बुझ कर राख हो गया हूँ,
अब न रहेंगें ख्वाब,
न याद,
न जज़्बात ही कोई,
इस सर्द ठंडी रात में,
इस अलाव में,
एक दिल भी बुझ गया है...