भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आवागवन / मुंशी रहमान खान
Kavita Kosh से
जग में आवागवन है कोई आवै कोई जाय।
विविधि भांति तन पावहीं करनी का फल पाय।।
करनी का फल पाय जीव कहिं चैन न पावै।
ईश करैं वहं न्याय पाप तोहि धर पकरावै।।
कहैं रहमान मुक्ति तुम चाहहुँ जाय गिरहु प्रभु पग में।
कटैं कोटि बाधा अमित फिर नहिं आवहु जग में।।