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आवाज़ दी है / हरीश भादानी
Kavita Kosh से
आवाज़ दी है तुम्हें इसलिये
शोर की सांस में
जी रही ख़ामोशियां
अनसुनी रह न जाएं कहीं
आवाज दी है तुम्हें इसलिये
बरसात के बाद की
गुनगुनी धूप की छांह में
रह न जाए कहीं
आंगने में नमी
आवाज दी है तुम्हें इसलिये
जुड़े अक्शरों का यहां
एक ही अर्थ होता रहा
और भी अर्थ होते हैं जो
अनहुए रह न जाएं कहीं
आवाज दी है तुम्हें इसलिये