भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आसमान बड़ी दूर है / विद्याधर द्विवेदी 'विज्ञ'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

धरती पर आग लगी – पंछी मजबूर है
क्योंकि आसमान बड़ी दूर है!

लपटों में नीड़ जला
आग ने धुआँ उगला
पंछी दृग बंद किये
आकुल मन उड़ निकला

सिंधु किरन में डूबी – और साँझ हो गई
आँसू बन बरस रहा पंख का गरूरा है
क्योंकि आसमान बड़ी दूर है!

बोझिल तम से अंबर
शंकित उर का गह्वर
जाने किस देश में
गिरेगा गति का लंगर

काँप रहे प्राण आज पीपल के पात से
कंठ करुण कम्पन के स्वर में भरपूर है
क्योंकि आसमान बड़ी दूर है!

उड़ उड़ जुगनू हारे
कब बन पाए तारे
अपने मन का पंछी
किस बल पर उड़ता रे,

प्रश्न एक पवन के प्रमाद में मुखर हुआ
पंछी को धरती पर जलना मंजूर है।
क्योंकि आसमान बड़ी दूर है!