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आसान नहीं होता / राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
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जिस घर में बुजुर्गो का सम्मान नहीं होता।
उस घर में कभी ईश्वर मेहरवान नहीं होता॥
वो तो कभी चैंन से ही रह नहीं सकता।
पक्का कभी भी जिसका ईमान नहीं होता॥
अच्छा क्या बुरा है वह कुछ नहीं समझता।
मूरख के पास इसका कुछ ज्ञान नहीं होता॥
अभिमन्यु की तरह ही लेता है ज्ञान को वह।
इस दौर का बच्चा भी नादान नहीं होता॥
रखते है दिल ही दिल में वह दर्द को छुपाकर।
ये दर्द बुजुर्गो का आसान नहीं होता॥
करते है प्यार सबसे देते है वह दुआये।
बाक़ी तो बुढ़ापे में अरमान नहीं होता॥
क्यों ढँूढ़ते फिरते हो तुम इस जहाँ में 'राना' ।
ईश्वर का कहीं कोई मकान नहीं होता॥