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इंसानियत का पता मांगता है / संजू शब्दिता
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इंसानियत का पता मांगता है
नादान है वो ये क्या मांगता है
वो बेअदब है या मैं बेअसर हूँ
मुझसे वो मेरी अना मांगता है
हद हो गई है हिक़ारत कि अब वो
रब से दुआ में फ़ना मांगता है
बरक़त खुदाया मेरे घर भी कर दे
बच्चा खिलौना नया मांगता है
किस्मत में मेरे नहीं था वो लेकिन
दिल है कि फिर भी दुआ मांगता