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इक नज़र आपकी चाहते हैं / कैलाश झा 'किंकर'

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इक नज़र आपकी चाहते हैं
एक पल में सदी चाहते हैं।

अब समझना कठिन हो गया है
जाने कैसी ख़ुशी चाहते हैं।

हम तो माली हैं इस गुलसितां का
बाग की ज़िन्दगी चाहते हैं।

आपसे तो ख़ुशी मिल रही है
आपकी दोस्ती चाहते हैं।

शायरों की ग़जब ज़िन्दगी है
फिर भी हम शायरी चाहते हैं।

चाहते थे जिन्हें कल तलक हम
उनको तो आज भी चाहते हैं।