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इतिहास / शैलेय
Kavita Kosh से
ढाई साल की मेरी बिटिया
मेरे लिखे हुए पर
कलम चला रही है
और गर्व से इठलाती
मुझे दिखा रही है
मैं अपने लिखे का बिगाड़ मानूं
या कि
नये समय का लेखा जोखा
बिटिया के लिखे को
मिटाने का मन नहीं है
और दोबारा लिखने को
अब न कागज है
न समय।