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इन तुजुर्बो ने ये सिखाया है / सिया सचदेव

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इन तुजुर्बो ने ये सिखाया है
ठोकरे खा के इल्म आया है

क्या हुआ आज कुछ तो बतलाओ
क्यों ये आंसू पलक तक आया है!

दुश्मनों ने तो कुछ लिहाज़ किया
दोस्तों ने बहुत सताया है!

आसमां, ज़िंदगी, जहाँ, हालात
हम को हर एक ने आज़माया है!

अब रुकेंगे तो सिर्फ़ मंजिल पर
सोचकर यह क़दम उठाया है!

ऐ "सिया" हम हैं उस मक़ाम पर आज
धूप है सर पे और न साया है!