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इन्कार / माया एंजलो
Kavita Kosh से
प्रियतम
क्या किसी दूसरे जीवन या भूमि में
तुम्हारे होठों, तुम्हारे हाथों,
तुम्हारी निडर और आकस्मिक हँसी
और उन मीठी ज्यादतियों के बारे में जान पाऊँगी जिन्हें मैं पसन्द करती हूँ
हमारे मिलने की क्या सम्भावनाएँ हैं ?
बिना तय भविष्य में हम
किसी दूसरी दुनिया में हम फिर मिलेंगे,
मैं अपने शरीर को किसी भुलावे में नहीं रख सकती
एक बार फिर मैं
एक और मधुर मुलाकात के बिना
मृत्यु के लिए भी मैं
आगे क़दम नहीं रखूँगी