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इन्द्रजालिनी / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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इन्द्रजालिनी प्रकृति - नटीकेर चमत्कार ई साओन-भादव!
दिनमे रातुक दृश्य तमोमय, विद्युत बल निशि दिवस ज्योतिमय
माझ-माझमे साँझक सुन्दर दृश्य देखाय हृदय हुलसाबय
सूर्य-चन्द्र तारावलीक कय लोप लोक विस्मित करइत नव
इन्द्रजालिनी प्रकृति नटीकेर चमत्कार ई साओन-भादव।।1।।

वीरबधूटी लाल ढेर ई जलसँ-आगिक वृष्टि भेल की?
असह छनहि अछि उषम उमस झझाक झोँक झट झमकि गेल की?
आतप - छाया नव-नव माया रचइत मोहय, विश्व चकित सब!
इन्द्रजालिनी प्रकृति नटीकेर चमत्कार ई साओन-भादव।।2।।