भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इल्ली/लार्वा / वर्नर अस्पेंसट्रोम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं स्वयं को अपनी चेरी पत्ती के बाहर खींचता हूँ
और अनंत की खोज हेतु अग्रसर होता हूँ:
अनंत आज के लिए तो बहुत बड़ा है
बहुत नीला और हज़ारों मील दूर भी
मेरे विचार से रहूँ मैं अपनी चेरी पत्ती पर
और माप लूं अपनी हरी चेरी पत्ती को.

(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)