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इस तरह मत टूटना / देवयानी
Kavita Kosh से
मुरझाना तो इस तरह जैसे
मुरझाते हैं अनार के फूल
एक नए फल को जन्म देते हुए
जो भरा हो असंख्य सुर्ख लाल रसीले दानों से
झरो तो इस तरह जैसे
झरते हैं हरसिंगार के फूल मुंह अन्धेरे
धरती पर बिछा देते हैं चादर
जिन्हें चुन लेती हूँ मैं
सुबह सुबह
टूटना तो इस तरह जैसे
टूटता है बीज
जब जन्म लेता हैं नया अंकुर
जीवन की सम्भावना लिए अपार
गिरना किसी झरने की तरह
सर सब्ज कर देना धरती
सूखे पत्ते की तरह मत झरना
इस तरह मत टूटना
जैसे टूटता है हृदय प्रेम में