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इस बार / महेश आलोक
Kavita Kosh से
बदल गया पूरा का पूरा दृश्य
इस बार
सड़क पार करती साइकिल ने
आदमी को खूब झिड़का
कि सड़क देखकर पार करे
घरों ने आदमी के भीतर की सारी जमीन
खरीद ली रहने के लिये
खेतों ने सरकार से अच्छी नस्ल का
आदमी माँगा
सब्जी मँडी में गोभियों ने मिलीभगत की
और आदमी खूब सस्ते में बिका
शराब ने एक पूरा पैग आदमी पिया नीट
बल्ब ने स्विच दबाया और
आदमी जल उठा
सपने ने मना कर दिया देखने से आदमी
शब्दों ने नयी इबारत में आदमी लिखा
इस बार