भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ई चुनाव के झंझट मा / प्रदीप शुक्ल
Kavita Kosh से
ई चुनाव के झंझट मा
खौख्याय लिहिन तौ का होईगा
दुई जने जो याक दूसरे का
फिरि नीच कहिन तौ का होईगा !!
जिउ गर्मी मा बिल्लाय रहा
कोउ बेमतलब बौराय रहा
बहन भाइयों, बहन भाइयों
दिन भर कोउ चिल्लाय रहा
अब कोहू की जबान फिसली
पागल कहि दिहिन तौ का होईगा!
दुई जने जो याक दूसरे का
फिरि नीच कहिन तौ का होईगा!!
ई ज्याठ की भरी दुपहरी मा
गर्मी माथे ऊपर चढ़िगै
बस बात नहीं बतकहाव ट्याढ
बेमतलब मा वह बढ़िगै
उई कहति कि तुम बेईमान रह्यो
उई कहति कि तुम अपमान केह्यो
मारौ गोली अब घरै जाव
कुछ कही दिहिन तौ का होइगा!
ई चुनाव के झंझट मा
खौख्याय लिहिन तौ का होईगा
दुई जने जो याक दूसरे का
फिरि नीच कहिन तौ का होईगा!!