ईश्वर के भूल / अवधेश कुमार जायसवाल
धरती पर भेजी मानव केॅ
ईश्वर करलकै भूल।
जे प्रकृति केॅ गोदी पललै
ओकरे करै विनाश
पाबी बृद्धि पगलैलै मानुष
करतै सत्यानाश।
पत्थर सें आगिन उपजैलकै
पहिया पर गाड़ी दौड़ेलकै
बनलोॅ छै भगवान आदमी
ईश्वर करलकै भूल।
जंगल काटी महल बनावै
नदिया रोकी बांध बनावै
बाज, गरुड़ के वंश ऊजाड़ै
सावन उड़लै धूल हो भैया
ईश्वर करलकै भूल।
चिड़िया सब के घरोॅ उजाड़
फाटै धरती, पड़ै सुखाड़
गरल पान करि मरै किसान
गलती करलेॅ छै भगवान।
भट्ठी में मजदूर जरै छै
चिमनी उगलै धुआँ
चलै हथौड़ा, धरती काँपै
सुखलै घर-घर कुआँ
छप्पन भोग भोगै बैमनमा
भुखलोॅ मरै किसनमा
नै जंगल, नै हिरणी कुलचै
नै अंगना में मैना फुदकै
नै बगरोॅ फोंकै धान
धरती पर मानव के शासन
की करल्होॅ भगवान।
नाहर सड़कोॅ पर भटकै छै
हाथी चारा लेॅ ललचै छै
पानी बिन मछली तड़पै छै
कछुवा चाटै धूल
धरती पर भेजी मानव केॅ
ईश्वर करलकै भूल।