भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ईसुरी की फाग-9 / बुन्देली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अब रित आई बसन्त बहारन, पान-फूल-फल डारन

हारन-हद्द-पहारन-पारन, धाम-धवल-जल-धारन

कपटी कुटिल कन्दरन छाई, गै बैराग बिगारन

चाहत हतीं प्रीत प्यारे की, हा-हा करत हजारन

जिनके कन्त अन्त घर से हैं, तिने देत दुख-दारुन

ईसुर मौर-झोंर के ऊपर, लगे भौंर गुंजारन ।