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उकाब / पीयूष दईया

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उकाब की पीठ पर सवार
ख़ूब ऊपर उड़ा
बादलों तक

वहाँ से उसने छोड दिया

ज़मीन पर गिरने से ऐन पहले
पकड़ लिया फिर