भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उजले बादल आकाश में / त्रिलोचन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1

उजले उजले बादल आकाश में

दस बजे दिन के प्रकाश में


आते हैं आगे बढ़ जाते हैं
जाते जाते कुछ कह जाते हैं


2

हवालात के आगे राह है

लोगों के लक्ष्य का प्रवाह है


लोग व्यस्त आते हैं जाते हैं
चन्द कदम दिख कर छिप जाते हैं


3

स्वतंत्रता का कितना मान है

मुझको अब इसका अनुमान है


सामने वह, पिंजरे में तोता है
उसे देख दर्द आज होता है