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उठो चलो मेरे साथ / उपेन्द्र कुमार
Kavita Kosh से
क्या टकटकी लगाए हो
असाधारण की तरफ
तोड़ो इसे
उठो चलो मेरे साथ
जो मिलना है
साधारण से मिलेगा
जो खिलना है
धरती से खिलेगा
भूलो साधारण को साधारण समझना
सीखो साधारण को भी
असाधारण ढंग से जीना
देखो हर विशेष आया है
अविशेष से
दुनियाँ की समस्त क्रान्तियाँ जन्मी हैं भूख से