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उठो म्हारा गोरा लाड़ा / मालवी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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उठो म्हारा गोरा लाड़ा
सुफल भ्याना
आंगणे नावीड़ो झारी लई ऊबो
नावीड़ा तो कई फलाणी बईरो कंत
फलाणा राम नावीड़ा, झोरी लई ऊबा
अंगणे भंगीड़ो झाडू दई दयो जी
भंगीड़ो तो कई है, फलाणी बई रो दास
फलाणा राम भंगी झाडू दई रयाजी
जागो हो म्हारा गोरा लाड़ा, सुफल भिळानो
आंगणे भिस्तीड़ो पाणी छिटकी रयो
भिस्तीड़ो कई फलाणी बई रो चाकर
फलाणा राय भिस्ती, पाणी छांटी रया
आंगणे कठाळियो हलदी लई आयोजी
आंगणे तम्बोली बिड़ला लई ऊबोजी
आंगणे मालीड़ो हार लई ऊबोजी
आंगणे हलवईड़ो सिरनी लई ऊबोजी
आंगणे मोचीड़ा मोजड़ी लई ऊबोजी