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उड़ान / नजवान दरविश / राजेश चन्द्र
Kavita Kosh से
कितनी ही दूर चले जाओ पृथ्वी से
पर दुबारा नीचे गिरने से
कोई तुम्हें बचा नहीं सकता
तुम्हें पृथ्वी पर उतरना ही पड़ेगा
चाहे पाँवों के बल उतरो या सिर के
उतरना तो पड़ेगा
यदि विस्फोट भी हो जाए विमान में
तुम्हारे पुर्ज़ों, तुम्हारे परमाणुओं तक को
आना ही होगा पृथ्वी पर
तुम ठुँके हुए हो कील की तरह इसमें :
यह पृथ्वी है, तुम्हारा अदना-सा सलीब
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र