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उडीक / इरशाद अज़ीज़
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बादळां नैं कैवो
बरसणो है तो
बरसो चुपचाप
मरुधर री तिरस
अबार सूती है
थांरी ई उडीक में
खोई है थांरै ई सुपनै में
आया हो तो बरस ई जावो
इणरै सुपनै रै साच हुवणै सारू