भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उणयासी / प्रमोद कुमार शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

संख्या गिणै राजा
-परजा री!
भाखा रा बीज खंगाळै
गोथळी रिपियां री उछाळै

मुळकै लोक रो चेतो
व्यवस्थावां करै
-करजां री!
फगत बो ई जाणै
भाखा दवाई है
-सै मरजां री!
इण वास्तै सै सूं पैलां
भाखा नैं ई मारै
हरकत करै
-दूजै दरजां री!