भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उनको महल-मकानी / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
उनको
महल-मकानी
हमको छप्पर-छानी
उनको
दाम-दुकानी
हमको कौड़ी कानी
सच है
यही कहानी
सबकी जानी-मानी
रचनाकाल: ११-०१-१९८० / ११-०६-१९९०