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उन्माद /राम शरण शर्मा 'मुंशी'
Kavita Kosh से
संस्पर्श उद्दाम
टूटते पहाड़ !
रोम-रोम उन्माद —
अस्फुट दहाड़ !
प्यास और और
फिर ...
पछाड़ पर पछाड़ !