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उपसंहार / विश्वनाथप्रसाद तिवारी
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कोई अफ़सोस नहीं होगा
जब उम्र के आख़िरी लम्हे में
पाऊंगा एक चीखती हुई भाषा
और उसमें एक हाँफती हुई इच्छा
कोई अफ़सोस नहीं होगा
मुझे पहले ही ज्ञात है
कथा का यह उपसंहार।