भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उम्र / रंजना भाटिया
Kavita Kosh से
उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव
उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
उम्र.....
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ।