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उरख्याळो / बीना बेंजवाल
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किसाण हाथों कु उदंकार च उरख्याळो
नाज तैं मुक्ति कु द्वार च उरख्याळो।
गैणौं स्यवाळ्द रतब्याणि बिजाळ्द
ऐन सैन ब्वे कि चार च उरख्याळो।
कब्बि खम्म-खम्म खाँसद कब्बि छुप्प-छुप्प बासद
कब्बि खित्त चैंळ्वी छलार च उरख्याळो।
देसु-बिदेसु भेजद चूड़ौं कि कुट्यरि
पहाड़ो सिखायूं एक संस्कार च उरख्याळो।
न इंजने भकभक न बिजल्यू फुकपट्ट
प्रगति तैं प्रकृति कु रैबार च उरख्याळो।
छूटणू च सौंजड़्या गंज्याळि कु दगड़ो
बिकास का अगनै लाचार च उरख्याळो।