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उर्वरा भूमि(यादें ) / कविता भट्ट

1
मन-पटल
स्मृति के चलचित्र
तन विकल।
2
यादों की बूँदें
मन-आँगन पड़ी
सुगन्ध उड़ी।
3
तरसी आँखें
दिखे नहीं सजन
केवल यादें।
4
महकी यादें
बन रात की रानी
नैनों में पानी ।
5
आओ सजन
यादों के झूले पर
झूलेंगे संग।
6
मन ने बीनी
मकई की कतारें
समय भुट्टा ।
7
जब बरसी
यादों की बदरिया
मन -पपीहा ।
8
नील गगन
मन उड़ता रहता
यादें उड़ान ।
9
यादें व तुम
विपरीत ध्रुव- से
कभी न संग ।
10
प्रणव यादें
विरह के मनके
जपता मन ।
11
मन की वीणा
यादें तेरी झंकार
साँसें वन्दन ।
12
उर्वरा भूमि
ढेरों फूल-काँटे भी
यादें उगातीं ।