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उल्टी गिनती / लक्ष्मी खन्ना सुमन
Kavita Kosh से
एक पेड़ पर बैठे कौवे
दस थे शोर मचाते
एक उड़ा जब पानी पीने
नौ बाकी रह जाते
एक गया जब चोंच धुलाने
आठ वहीं सुस्ताएँ
एक खेलने उड़ा हवा में
सात देख हर्षाएँ
एक गया बाज़ार घूमने
छः ने देखी रोटी
एक उड़ा जब लेने उसको
पाँच खेलते गोटी
एक गया फिर नदी नहाने
चार रहे तब पीछे
एक गया ससुराल तो सोये
तीन आँख को मीचे
एक गया बच्चों से मिलने
दो ने घर-घर खेला
एक और जाए तो होगा
बस इक एक अकेला