उल्लू - 1 / अरविन्द पासवान
जी हाँ
उल्लू
एक पक्षी
जिसे दिखाई नहीं देता दिन में
पर उल्लू का खास स्थान है इतिहास में
सामाजिक और धार्मिक भी
समाज में
हम एक-दूसरे को उल्लू बनाते हैं, या बनते हैं
या फिर उल्लू सीधा करते हैं
कभी-कभी संबोधित भी करते हैं--
तू उल्लू है, तू उल्लू का पट्ठा है, आदि-आदि
तथाकथित धार्मिक अर्थों में उल्लू
धन की देवी लक्ष्मी का वाहन भी है
धन की बात से याद आया कि
दुनिया के कई राजाओं ने
धन और ऐश्वर्य की लालच में
अपने पूर्व के हुक्मरानों को
ज़बरन अयोग्य घोषित कर पदच्युत किया या
फिर उनकी हत्या की
यह चलन अब खास से
आम हो गया है
और उल्लू है
कि ऊपर बैठा सबकुछ देख रहा होता है
मुस्करा रहा होता है
वह हमें उल्लू बना रहा होता है
आज का आधुनिक उल्लू
बे-खौफ पूरी दुनिया में विचर रहा है
सोख रहा है एक-एक बूँद रक्त हमारी नसों की
दिन के उजाले में ही