भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उस औरत की गोद में / इब्बार रब्बी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उस औरत की गोद में बच्चा
मैं बच्चे को देख रहा हूँ
और औरत को।
मैं मैं नहीं रहा
गोद में हो गया
फूल की तरह भारहीन
गीत की तरह कोमल
उस औरत की गोद में।

लाख-लाख औरतों की गोद में
धरती की गोद में
पुरानी, बहुत पुरानी कब्र की तरह।

रचनाकाल : 16.08.1979