भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उस जल की / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हरा हूँ तो पेड़ का हूँ
झरा तो हवा का हूँगा
मरा तो जला देगी आग
राख धरती हो जाएगी

याद तक नहीं आएगी
जिसकी कामना हूँ मैं
उस जल की—
जो मुझ में
जल गया होगा ।

7 अप्रैल 2009