भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उस पार की जमीन / डॉ. सत्यनारायण सोनी
Kavita Kosh से
बच्चे के पास
नहीं है कोई जेट विमान
कोई रॉकेट
या हवाई सर्वेक्षण करता
कोई हैलिकौप्टर।
उसके पास है
प्यार की डोरी में बंधी
एक पतंग
उड़ते-उड़ते पहुंच गई जो
सरहद पार के आसमान में
बांट रही
एक अदद मुस्कान।
कोई शक की नजरों
नहीं देखेगा उसे
सरहद पार।
न ही दागी जाएगी
कोई मिसाइल
उसे गिराने को।
कोई बच्चे जैसा बच्चा
सरहद पार का
निहारेगा उसे
तालियां बजाएगा
खिलखिलाएगा।
कटकर जाएगी जब
तो वह उमंगों भर जाएगा
लूटने को दोनों हाथ फैलाएगा।
और इस प्रकार
भर जाएगी मुस्कान से
सरसब्ज हो जाएगी प्यार से
उस पार की जमीन।