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उसकी भी ज़रूरत / चंद्र रेखा ढडवाल
Kavita Kosh से
मैं साथ चाहती हूँ
मैं घर चाहती हूँ
और मैं ही चाहती हूँ
इस एहसास पर / सर्प की तरह
कुंडली मार कर
बैठ जाती है
साथ उसे भी चाहिए
मेरे जितना न सही
इस सच को समझ कर
समझा दे पुरुष को
तो औरत / ज़िन्दगी
आसान कर ले