उसके लिए / अफ़अनासी फ़ेत / अनिल जनविजय
जो समझेगा रहस्य तेरी मुस्कान का
भाव नीली आँखों का तेरी मेरे मीत
वो समझेगा अर्थ मेरी प्रार्थना व ध्यान का
और मेरे उन्मत्त होठों पर आया गीत
तप्त धरती पर दिन सुनहरा डूब रहा है
और धधक रही है चट्टान बृहन्मणि<ref>प्राचीन मिस्त्र में मिलने वाली सफ़ेद या लाल स्फटिकों से युक्त कड़ी चटृटान </ref> लगातार
प्रकाश देवता युवा अपोलो<ref>प्राचीन यूनानी मिथक परम्परा में प्रकाश का देवता</ref> वहाँ घूम रहा है
दूर तरकश के साथ करे वह वीणा की झंकार
तू झलके कुछ इस तरह कि हमको ले तू मोह
भागे तू उसके पीछे साथ लिए सब सपने
लेकिन विनय के इस क्षण तू है हमारी छोह<ref>अनुग्रह, दया, प्रेम, स्नेह, जान, जोश, मुहब्बत, प्यार, चाह</ref>
सुबह भोर के संग उड़ आती जो चैतन्य में अपने
1890
मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Афанасий Фет
К ней
Кто постигнет улыбку твою
И лазурных очей выраженье,
Тот поймет и молитву мою
И восторженных уст песнопенье.
День смолкает над жаркой землей,
И, нетленной пылая порфирой,
Вот он сам, Аполлон молодой,
Вдаль уходит с колчаном и лирой.
Пусть ты отблеск, пленяющий нас,
Пусть за ним ты несешься мечтою,
Но тебе — наш молитвенный час,
Что слетает к нам в душу с зарею.
1890 г.