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उसको हर हाल में तकलीफ उठानी होगी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'

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उसको हर हाल में तकलीफ उठानी होगी
जिसने बचपन में बुज़ुर्गों की न होगी।

अपनी औक़ात की हद में जो रहेगा हरदम
उसका बेकार बुढापा न जवानी होगी।

मुझको मंज़ूर नहीं शर्त कोई उल्फ़त में
मोड़ हर बात इसी बात पे लानी होगी।

पर तू बुलबुल के रहा नोंच मगर ध्यान रहे
एक दिन तेरी ये बेटी भी सयानी होगी।

ऐसे घर को न विदा होगी हमारी दुख्तर
जिसके आंगन में न देवर न जिठानी होगी।

जब तलक आप पढ़ाएंगे सबक़ नफ़रत का
ख़त्म तब तक न अदावत की कहानी होगी।

हंस के 'विश्वास' यहां लोग गले मिलते हैं
रस्म ये जब भी मिलोगे तो निभानी होगी।