भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऊंची अटारी बरें दिअना / बघेली
Kavita Kosh से
बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ऊँची अटारी बरें दिअना
सब सोवै मैं जागौं अकेल
सब सोवै में जागौं अकेल जियरा