भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक अच्छा दिन बिताना मुश्किल है / महेश आलोक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक अच्छा दिन बिताना मुश्किल है

हम दुखी न हों एक दिन
किसी को किसी पर गुस्सा न आए
प्यार ही प्यार दिखे सब तरफ

भय और झूठ कत्तई परेशान न करें हमारी आत्मा को

कुछ ऐसा हो कि ईश्वर
भूख से मरे एक दिन।शायद पृथ्वी पर
न पनपे फिर यह असाध्य रोग
युद्ध और धर्म की पुरानी किताब
चली जाए ईश्वर के साथ

इतनी छोटी- सी इच्छा
कि बस एक दिन शान्ति
हो जीवन में

किसी रेखा को बड़ा करने का तरीका
यह न हो कि कोई रेखा मिटा दी जाए
दृश्य से

कोई मुकुट सिर की उम्र से ज्यादा कीमती न हो
कोई संग्रहालय यह घोषणा करे कि पैर
ज्यादा कीमती हैं किसी प्राचीन जूते से

एक अच्छा दिन ऐसा हो कि बस
सब कुछ अच्छा हो एक दिन