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एक कला / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
तुमने इल्म आजमाया और मुस्कुराये
तुमने नेजा उठाया और मुस्कुराये
तुमने यकीन भुनाया और मुस्कुराये
तुमने पैसा गिनाया और मुस्कुराये
यह एक कला हुई बस
कभी मुहब्बत भी करते प्यारे!